Real NILAM stone (natural blue sapphire)
₹1,124.76 incl. GST
सभी ग्रहों का एक रत्न होता है। शनि ग्रह का रत्न नीलम है, जिसे अंग्रेजी में ‘ब्लू सेफायर’ कहते हैं। ज्योतिष विज्ञान में इसे कुरूंदम समूह का रत्न कहते हैं। इस समूह में लाल रत्न को माणिक तथा दूसरे सभी रत्नों को नीलम कहते हैं। इसलिए नीलम सफेद, हरे, बैंगनी, नीले आदि रंगों में प्राप्त होता है।
रत्नों में सबसे अच्छा ब्लू सेफायर नीले रंग का होता है। जिसका रंग आसमानी, गहरा नीला, चमकीला नीला आदि होता है। नीलम रत्न के गुण नीलम रत्न शनि ग्रह का रत्न कहलाता है।
ऐसा माना जाता है कि मोर के पंख जैसे रंग वाला नीलम सबसे अच्छा माना जाता है। यह बहुत चमकीला और चिकना होता है। इससे आर-पार देखा जा सकता है।
नीलम रत्न को पहनने के लिए कुंडली में निम्न योग होने आवश्यक हैं। नीलम रत्न के फायदे नीलम शनि का रत्न है और अपना असर बहुत तीव्रता से दिखाता है इसलिए नीलम कभी भी बिना ज्योतिषी की सलाह के नहीं पहनना चाहिए। नीलम रत्न को पहनने के लिए कुंडली में निम्न योग होने आवश्यक हैं। मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक लग्न वाले अगर नीलम को धारण करते हैं तो उनका भाग्योदय होता है। चौथे, पांचवे, दसवें और ग्यारवें भाव में शनि हो तो नीलम जरूर पहनना चाहिए। शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या स्वयं ही छठे और आठवें भाव में हो तो भी नीलम रत्न धारण करना चाहिए। शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी है। इनमें से दोनों राशियां अगर शुभ भावों में बैठी हों तो नीलम धारण करना चाहिए लेकिन अगर दोनों में से कोई भी राशि अशुभ भाव में हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए। शनि की साढेसाती में नीलम धारण करना लाभ देता है। शनि की दशा अंतरदशा में भी नीलम धारण करना लाभदायक होता है। शनि की सूर्य से युति हो, वह सूर्य की राशि में हो या उससे दृष्ट हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। कुंडली में शनि मेष राशि में स्थित हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। कुंडली में शनि वक्री, अस्तगत या दुर्बल अथवा नीच का हो तो भी नीलम धारण करके लाभ होता है। जिसकी कुंडली में शनि प्रमुख हो और प्रमुख स्थान में हो उन्हें भी नीलम धारण kare
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Description
real nilam stone, NATURAL BLUE SAPPHIRE
RATNA GEMOLOGICAL LABORATORY CERTIFIED
COLOR.. Dark Blue ,
CUT.. OVEL MIXED,
MAGNIFICATION… NATURAL ORIGIN
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REAL 2 mukhi Rudraksha
0 out of 5(0)Benefits of Rudraksha in Hindi: पौराणिक मान्यताएं हैं कि कि शिव के नेत्रों से रुद्राक्ष का उद्भव हुआ और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है। कहते हैं रुद्राक्ष जितना छोटा हो, यह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है। सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाने में सहायक होता है रुद्राक्ष, लेकिन हर चाहत के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। वैसे, रुद्राक्ष संबंधी कुछ नियम भी हैं, जैसे- रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को किसी शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। इसे अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए। कहते हैं, जो पूरे नियमों का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक रुद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है।
₹999.10₹650.96 incl. GSTReal MOTI (Pearl)
0 out of 5(0)वैदिक ज्योतिष में मोती एक शुभ रत्न माना गया है, यह चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। वे व्यक्ति जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, उन्हें मोती अवश्य धारण करना चाहिए। क्योंकि यह चंद्रमा से संबंधित सभी दोषों का निवारण करता है। मोती समुद्र में सीपियों द्वारा बनाया जाता है। इस वजह से अच्छी गुणवत्ता के मोती की उपलब्धता कम होती है।
ये सफेद चमकदार और कई आकार में होते हैं लेकिन गोल मोती ही सबसे अच्छा माना जाता है। प्राचीन काल से ही रत्नों में मोती का बड़ा महत्व है। मोती में कुछ चिकित्सीय गुण भी पाये जाते हैं, विशेषकर एशियाई मूल की मेडिकल व्यवस्था में इसका प्रयोग किया जाता है। मोती में क्रिस्टल के समान आध्यात्मिक गुण भी होते हैं। आभूषण के मामले में मोती बेहद लोकप्रिय है, इसे हार या अंगूठी में डालकर पहना जाता है।
अब यदि हम मोती के प्रकारों की बात करें तो, मूल रूप से मोती दो प्रकार के होते हैं ताजा जल वाले मोती और खारे जल वाले मोती। इसके अलावा मोती कई रंगों जैसे गुलाबी और काले आदि तरह के कलर में उपलब्ध होते हैं। आभूषण का शौक रखने वाले लोगों में काले मोती का हार बेहद लोकप्रिय है।
मोती के फायदे
हर सभ्यता और संस्कृति में आभूषण के मामले में मोती बड़ा ही महत्व रखता है। मोती जिसे अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं यह शब्द फ्रेंच से लिया गया है जबकि हिन्दी में यह मोती के रूप में प्रसिद्ध है। महिलाएं इस आकर्षक रत्न को हमेशा हार और अंगूठी में पहनना पसंद करती हैं। मोती धारण करने के कई फायदे हैं, जो इस प्रकार है:
- मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा मन का कारक होता है, इसलिए मोती धारण करने से मन स्थिर रहता है व नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- मोती के प्रभाव से रिश्तों में मधुरता बनी रहती है, विशेषकर पति-पत्नी के संबंधों में। क्योंकि यह रिश्तों में स्नेह,विश्वास और देखभाल को दर्शाता है।
- मोती महिलाओं के लिए ऊर्जा का सार है, इसलिए उन महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो किसी रोग से पीड़ित हैं।
- मोती धारण करने से आत्म विश्वास में वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धता आती है।
- मोती शारीरिक शक्ति में बढ़ोत्तरी करता है और बुरी ताकतों से आपकी रक्षा करता है।
- मोती के प्रभाव से स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है और यह कलात्मकता, संगीत,कला और स्नेह के प्रति उत्तेजित करता है।
₹540.72 incl. GSTGEMS STONE munga coral
0 out of 5(0)मूंगा समुद्र में पायी जानी वाली एक वनस्पति है, जिसे मंगल का रत्न कहा जाता है। जिन लोगों की कुण्डली में मंगल पापी होकर अशुभ फल दे रहा होता है, उसे नियंत्रित करने के लिए मूंगा धारण करना चाहिए। मूंगा एक ऐसा रत्न है, जिसे धारण करने से अनेको प्रकार के लाभ प्राप्त होते है।
मंगल रत्न मूंगा से मंगलमय हो जाता है जीवन आईये जानते है कि मूंगा पहनने के क्या-क्या फायदे हैंं. मूंगा पहनने के लाभ इस रत्न को सोने/चॉदी या तॉबे में पहनने से बच्चों को नजर नहीं लगती एंव भूत-प्रेत व बाहरी हवा का भय खत्म हो जाता है। मूंगा धारण करने से ईर्ष्या दोष समाप्त होता है, साहस व आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को मूंगा पहनने से अत्यन्त लाभ होता है। उदासी व मानसिक अवसाद पर काबू पाने के लिए मूॅगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। किसी बच्चे को आलस्य बहुत सता रहा है तो… पुलिस, आर्मी, डाक्टर, प्रापर्टी का काम करने वाले, machinery निर्माण करने वाले, सर्जन, कम्प्यूटर साप्टवेयर व हार्डवेयर इन्जीनियर आदि लोगों को मूॅगा पहनने से विशेष लाभ होता है। अगर किसी बच्चे को आलस्य बहुत सता रहा है तो उसे मूॅगा पहनाने से उसका आलस्य दूर भाग जाता है। यदि किसी व्यक्ति को रक्त से सम्बन्धित कोई दिक्कत है तो उसे मूंगा पहनने से फायदा मिलता है। मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए मूंगा पहनना अत्यन्त हितकारी साबित होता है।
₹628.30₹464.94 incl. GSTReal MOTI (Pearl)
0 out of 5(0)वैदिक ज्योतिष में मोती एक शुभ रत्न माना गया है, यह चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। वे व्यक्ति जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, उन्हें मोती अवश्य धारण करना चाहिए। क्योंकि यह चंद्रमा से संबंधित सभी दोषों का निवारण करता है। मोती समुद्र में सीपियों द्वारा बनाया जाता है। इस वजह से अच्छी गुणवत्ता के मोती की उपलब्धता कम होती है।
ये सफेद चमकदार और कई आकार में होते हैं लेकिन गोल मोती ही सबसे अच्छा माना जाता है। प्राचीन काल से ही रत्नों में मोती का बड़ा महत्व है। मोती में कुछ चिकित्सीय गुण भी पाये जाते हैं, विशेषकर एशियाई मूल की मेडिकल व्यवस्था में इसका प्रयोग किया जाता है। मोती में क्रिस्टल के समान आध्यात्मिक गुण भी होते हैं। आभूषण के मामले में मोती बेहद लोकप्रिय है, इसे हार या अंगूठी में डालकर पहना जाता है।
अब यदि हम मोती के प्रकारों की बात करें तो, मूल रूप से मोती दो प्रकार के होते हैं ताजा जल वाले मोती और खारे जल वाले मोती। इसके अलावा मोती कई रंगों जैसे गुलाबी और काले आदि तरह के कलर में उपलब्ध होते हैं। आभूषण का शौक रखने वाले लोगों में काले मोती का हार बेहद लोकप्रिय है।
मोती के फायदे
हर सभ्यता और संस्कृति में आभूषण के मामले में मोती बड़ा ही महत्व रखता है। मोती जिसे अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं यह शब्द फ्रेंच से लिया गया है जबकि हिन्दी में यह मोती के रूप में प्रसिद्ध है। महिलाएं इस आकर्षक रत्न को हमेशा हार और अंगूठी में पहनना पसंद करती हैं। मोती धारण करने के कई फायदे हैं, जो इस प्रकार है:
- मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा मन का कारक होता है, इसलिए मोती धारण करने से मन स्थिर रहता है व नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- मोती के प्रभाव से रिश्तों में मधुरता बनी रहती है, विशेषकर पति-पत्नी के संबंधों में। क्योंकि यह रिश्तों में स्नेह,विश्वास और देखभाल को दर्शाता है।
- मोती महिलाओं के लिए ऊर्जा का सार है, इसलिए उन महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो किसी रोग से पीड़ित हैं।
- मोती धारण करने से आत्म विश्वास में वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धता आती है।
- मोती शारीरिक शक्ति में बढ़ोत्तरी करता है और बुरी ताकतों से आपकी रक्षा करता है।
- मोती के प्रभाव से स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है और यह कलात्मकता, संगीत,कला और स्नेह के प्रति उत्तेजित करता है।
₹312.71₹250.17 incl. GSTREAL 6 mukhi Rudraksha
0 out of 5(0)Benefits of Rudraksha in Hindi: पौराणिक मान्यताएं हैं कि कि शिव के नेत्रों से रुद्राक्ष का उद्भव हुआ और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है। कहते हैं रुद्राक्ष जितना छोटा हो, यह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है। सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाने में सहायक होता है रुद्राक्ष, लेकिन हर चाहत के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। वैसे, रुद्राक्ष संबंधी कुछ नियम भी हैं, जैसे- रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को किसी शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। इसे अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए। कहते हैं, जो पूरे नियमों का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक रुद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है।
₹1,051.63₹751.90 incl. GSTReal NILAM stone (natural blue sapphire)
0 out of 5(0)सभी ग्रहों का एक रत्न होता है। शनि ग्रह का रत्न नीलम है, जिसे अंग्रेजी में ‘ब्लू सेफायर’ कहते हैं। ज्योतिष विज्ञान में इसे कुरूंदम समूह का रत्न कहते हैं। इस समूह में लाल रत्न को माणिक तथा दूसरे सभी रत्नों को नीलम कहते हैं। इसलिए नीलम सफेद, हरे, बैंगनी, नीले आदि रंगों में प्राप्त होता है।
रत्नों में सबसे अच्छा ब्लू सेफायर नीले रंग का होता है। जिसका रंग आसमानी, गहरा नीला, चमकीला नीला आदि होता है। नीलम रत्न के गुण नीलम रत्न शनि ग्रह का रत्न कहलाता है।
ऐसा माना जाता है कि मोर के पंख जैसे रंग वाला नीलम सबसे अच्छा माना जाता है। यह बहुत चमकीला और चिकना होता है। इससे आर-पार देखा जा सकता है।
नीलम रत्न को पहनने के लिए कुंडली में निम्न योग होने आवश्यक हैं। नीलम रत्न के फायदे नीलम शनि का रत्न है और अपना असर बहुत तीव्रता से दिखाता है इसलिए नीलम कभी भी बिना ज्योतिषी की सलाह के नहीं पहनना चाहिए। नीलम रत्न को पहनने के लिए कुंडली में निम्न योग होने आवश्यक हैं। मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक लग्न वाले अगर नीलम को धारण करते हैं तो उनका भाग्योदय होता है। चौथे, पांचवे, दसवें और ग्यारवें भाव में शनि हो तो नीलम जरूर पहनना चाहिए। शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या स्वयं ही छठे और आठवें भाव में हो तो भी नीलम रत्न धारण करना चाहिए। शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी है। इनमें से दोनों राशियां अगर शुभ भावों में बैठी हों तो नीलम धारण करना चाहिए लेकिन अगर दोनों में से कोई भी राशि अशुभ भाव में हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए। शनि की साढेसाती में नीलम धारण करना लाभ देता है। शनि की दशा अंतरदशा में भी नीलम धारण करना लाभदायक होता है। शनि की सूर्य से युति हो, वह सूर्य की राशि में हो या उससे दृष्ट हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। कुंडली में शनि मेष राशि में स्थित हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। कुंडली में शनि वक्री, अस्तगत या दुर्बल अथवा नीच का हो तो भी नीलम धारण करके लाभ होता है। जिसकी कुंडली में शनि प्रमुख हो और प्रमुख स्थान में हो उन्हें भी नीलम धारण kare
₹1,279.26 incl. GSTREAL 2 mukhi Rudraksha
0 out of 5(0)Benefits of Rudraksha in Hindi: पौराणिक मान्यताएं हैं कि कि शिव के नेत्रों से रुद्राक्ष का उद्भव हुआ और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है। कहते हैं रुद्राक्ष जितना छोटा हो, यह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है। सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाने में सहायक होता है रुद्राक्ष, लेकिन हर चाहत के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। वैसे, रुद्राक्ष संबंधी कुछ नियम भी हैं, जैसे- रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को किसी शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। इसे अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए। कहते हैं, जो पूरे नियमों का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक रुद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है।
₹999.10₹650.96 incl. GSTReal MOTI (Pearl KC)
0 out of 5(0)वैदिक ज्योतिष में मोती एक शुभ रत्न माना गया है, यह चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। वे व्यक्ति जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, उन्हें मोती अवश्य धारण करना चाहिए। क्योंकि यह चंद्रमा से संबंधित सभी दोषों का निवारण करता है। मोती समुद्र में सीपियों द्वारा बनाया जाता है। इस वजह से अच्छी गुणवत्ता के मोती की उपलब्धता कम होती है।
ये सफेद चमकदार और कई आकार में होते हैं लेकिन गोल मोती ही सबसे अच्छा माना जाता है। प्राचीन काल से ही रत्नों में मोती का बड़ा महत्व है। मोती में कुछ चिकित्सीय गुण भी पाये जाते हैं, विशेषकर एशियाई मूल की मेडिकल व्यवस्था में इसका प्रयोग किया जाता है। मोती में क्रिस्टल के समान आध्यात्मिक गुण भी होते हैं। आभूषण के मामले में मोती बेहद लोकप्रिय है, इसे हार या अंगूठी में डालकर पहना जाता है।
अब यदि हम मोती के प्रकारों की बात करें तो, मूल रूप से मोती दो प्रकार के होते हैं ताजा जल वाले मोती और खारे जल वाले मोती। इसके अलावा मोती कई रंगों जैसे गुलाबी और काले आदि तरह के कलर में उपलब्ध होते हैं। आभूषण का शौक रखने वाले लोगों में काले मोती का हार बेहद लोकप्रिय है।
मोती के फायदे
हर सभ्यता और संस्कृति में आभूषण के मामले में मोती बड़ा ही महत्व रखता है। मोती जिसे अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं यह शब्द फ्रेंच से लिया गया है जबकि हिन्दी में यह मोती के रूप में प्रसिद्ध है। महिलाएं इस आकर्षक रत्न को हमेशा हार और अंगूठी में पहनना पसंद करती हैं। मोती धारण करने के कई फायदे हैं, जो इस प्रकार है:
- मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा मन का कारक होता है, इसलिए मोती धारण करने से मन स्थिर रहता है व नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- मोती के प्रभाव से रिश्तों में मधुरता बनी रहती है, विशेषकर पति-पत्नी के संबंधों में। क्योंकि यह रिश्तों में स्नेह,विश्वास और देखभाल को दर्शाता है।
- मोती महिलाओं के लिए ऊर्जा का सार है, इसलिए उन महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो किसी रोग से पीड़ित हैं।
- मोती धारण करने से आत्म विश्वास में वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धता आती है।
- मोती शारीरिक शक्ति में बढ़ोत्तरी करता है और बुरी ताकतों से आपकी रक्षा करता है।
- मोती के प्रभाव से स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है और यह कलात्मकता, संगीत,कला और स्नेह के प्रति उत्तेजित करता है।
₹701.43 incl. GSTGEMS STONE munga (natural coral)
0 out of 5(0)मूंगा समुद्र में पायी जानी वाली एक वनस्पति है, जिसे मंगल का रत्न कहा जाता है। जिन लोगों की कुण्डली में मंगल पापी होकर अशुभ फल दे रहा होता है, उसे नियंत्रित करने के लिए मूंगा धारण करना चाहिए। मूंगा एक ऐसा रत्न है, जिसे धारण करने से अनेको प्रकार के लाभ प्राप्त होते है।
मंगल रत्न मूंगा से मंगलमय हो जाता है जीवन आईये जानते है कि मूंगा पहनने के क्या-क्या फायदे हैंं. मूंगा पहनने के लाभ इस रत्न को सोने/चॉदी या तॉबे में पहनने से बच्चों को नजर नहीं लगती एंव भूत-प्रेत व बाहरी हवा का भय खत्म हो जाता है। मूंगा धारण करने से ईर्ष्या दोष समाप्त होता है, साहस व आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को मूंगा पहनने से अत्यन्त लाभ होता है। उदासी व मानसिक अवसाद पर काबू पाने के लिए मूॅगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। किसी बच्चे को आलस्य बहुत सता रहा है तो… पुलिस, आर्मी, डाक्टर, प्रापर्टी का काम करने वाले, machinery निर्माण करने वाले, सर्जन, कम्प्यूटर साप्टवेयर व हार्डवेयर इन्जीनियर आदि लोगों को मूॅगा पहनने से विशेष लाभ होता है। अगर किसी बच्चे को आलस्य बहुत सता रहा है तो उसे मूॅगा पहनाने से उसका आलस्य दूर भाग जाता है। यदि किसी व्यक्ति को रक्त से सम्बन्धित कोई दिक्कत है तो उसे मूंगा पहनने से फायदा मिलता है। मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए मूंगा पहनना अत्यन्त हितकारी साबित होता है।
₹923.91 incl. GSTReal MOTI (Pearl KC)
0 out of 5(0)वैदिक ज्योतिष में मोती एक शुभ रत्न माना गया है, यह चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। वे व्यक्ति जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, उन्हें मोती अवश्य धारण करना चाहिए। क्योंकि यह चंद्रमा से संबंधित सभी दोषों का निवारण करता है। मोती समुद्र में सीपियों द्वारा बनाया जाता है। इस वजह से अच्छी गुणवत्ता के मोती की उपलब्धता कम होती है।
ये सफेद चमकदार और कई आकार में होते हैं लेकिन गोल मोती ही सबसे अच्छा माना जाता है। प्राचीन काल से ही रत्नों में मोती का बड़ा महत्व है। मोती में कुछ चिकित्सीय गुण भी पाये जाते हैं, विशेषकर एशियाई मूल की मेडिकल व्यवस्था में इसका प्रयोग किया जाता है। मोती में क्रिस्टल के समान आध्यात्मिक गुण भी होते हैं। आभूषण के मामले में मोती बेहद लोकप्रिय है, इसे हार या अंगूठी में डालकर पहना जाता है।
अब यदि हम मोती के प्रकारों की बात करें तो, मूल रूप से मोती दो प्रकार के होते हैं ताजा जल वाले मोती और खारे जल वाले मोती। इसके अलावा मोती कई रंगों जैसे गुलाबी और काले आदि तरह के कलर में उपलब्ध होते हैं। आभूषण का शौक रखने वाले लोगों में काले मोती का हार बेहद लोकप्रिय है।
मोती के फायदे
हर सभ्यता और संस्कृति में आभूषण के मामले में मोती बड़ा ही महत्व रखता है। मोती जिसे अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं यह शब्द फ्रेंच से लिया गया है जबकि हिन्दी में यह मोती के रूप में प्रसिद्ध है। महिलाएं इस आकर्षक रत्न को हमेशा हार और अंगूठी में पहनना पसंद करती हैं। मोती धारण करने के कई फायदे हैं, जो इस प्रकार है:
- मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा मन का कारक होता है, इसलिए मोती धारण करने से मन स्थिर रहता है व नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- मोती के प्रभाव से रिश्तों में मधुरता बनी रहती है, विशेषकर पति-पत्नी के संबंधों में। क्योंकि यह रिश्तों में स्नेह,विश्वास और देखभाल को दर्शाता है।
- मोती महिलाओं के लिए ऊर्जा का सार है, इसलिए उन महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो किसी रोग से पीड़ित हैं।
- मोती धारण करने से आत्म विश्वास में वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धता आती है।
- मोती शारीरिक शक्ति में बढ़ोत्तरी करता है और बुरी ताकतों से आपकी रक्षा करता है।
- मोती के प्रभाव से स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है और यह कलात्मकता, संगीत,कला और स्नेह के प्रति उत्तेजित करता है।
₹633.45₹601.78 incl. GSTREAL 7 mukhi Rudraksha (region NEPAL) small
0 out of 5(0)Benefits of Rudraksha in Hindi: पौराणिक मान्यताएं हैं कि कि शिव के नेत्रों से रुद्राक्ष का उद्भव हुआ और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है। कहते हैं रुद्राक्ष जितना छोटा हो, यह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है। सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाने में सहायक होता है रुद्राक्ष, लेकिन हर चाहत के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। वैसे, रुद्राक्ष संबंधी कुछ नियम भी हैं, जैसे- रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को किसी शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। इसे अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए। कहते हैं, जो पूरे नियमों का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक रुद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है।
₹1,051.63₹751.90 incl. GSTNILAM stone (natural blue sapphire)
0 out of 5(0)सभी ग्रहों का एक रत्न होता है। शनि ग्रह का रत्न नीलम है, जिसे अंग्रेजी में ‘ब्लू सेफायर’ कहते हैं। ज्योतिष विज्ञान में इसे कुरूंदम समूह का रत्न कहते हैं। इस समूह में लाल रत्न को माणिक तथा दूसरे सभी रत्नों को नीलम कहते हैं। इसलिए नीलम सफेद, हरे, बैंगनी, नीले आदि रंगों में प्राप्त होता है।
रत्नों में सबसे अच्छा ब्लू सेफायर नीले रंग का होता है। जिसका रंग आसमानी, गहरा नीला, चमकीला नीला आदि होता है। नीलम रत्न के गुण नीलम रत्न शनि ग्रह का रत्न कहलाता है।
ऐसा माना जाता है कि मोर के पंख जैसे रंग वाला नीलम सबसे अच्छा माना जाता है। यह बहुत चमकीला और चिकना होता है। इससे आर-पार देखा जा सकता है।
नीलम रत्न को पहनने के लिए कुंडली में निम्न योग होने आवश्यक हैं। नीलम रत्न के फायदे नीलम शनि का रत्न है और अपना असर बहुत तीव्रता से दिखाता है इसलिए नीलम कभी भी बिना ज्योतिषी की सलाह के नहीं पहनना चाहिए। नीलम रत्न को पहनने के लिए कुंडली में निम्न योग होने आवश्यक हैं। मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक लग्न वाले अगर नीलम को धारण करते हैं तो उनका भाग्योदय होता है। चौथे, पांचवे, दसवें और ग्यारवें भाव में शनि हो तो नीलम जरूर पहनना चाहिए। शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या स्वयं ही छठे और आठवें भाव में हो तो भी नीलम रत्न धारण करना चाहिए। शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी है। इनमें से दोनों राशियां अगर शुभ भावों में बैठी हों तो नीलम धारण करना चाहिए लेकिन अगर दोनों में से कोई भी राशि अशुभ भाव में हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए। शनि की साढेसाती में नीलम धारण करना लाभ देता है। शनि की दशा अंतरदशा में भी नीलम धारण करना लाभदायक होता है। शनि की सूर्य से युति हो, वह सूर्य की राशि में हो या उससे दृष्ट हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। कुंडली में शनि मेष राशि में स्थित हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। कुंडली में शनि वक्री, अस्तगत या दुर्बल अथवा नीच का हो तो भी नीलम धारण करके लाभ होता है। जिसकी कुंडली में शनि प्रमुख हो और प्रमुख स्थान में हो उन्हें भी नीलम धारण kare
₹976.65₹703.19 incl. GST
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